Friday 5 October 2007

निर्मल आनंद के सानिध्य में कुछ लम्हे



अपने दोस्तों से तो अभय जी पहले ही मिल चुके थे। लेकिन दिल्ली में कुछ और भी थे जो निर्मल आनंद को अपने दोस्त की तरह मानते थे। आखिरकार जब ख़बर लगी कि निर्मल मन के ये स्वामी इन दिनों अपने आसपास हैं, तो इससे पहले कि वे वापस मुम्बई के लिए उड़ान भरते, कुछ लम्हे उनके सानिध्य में गुजार लेना लाज़िमी-सा लगा।

यह और बात थी कि वे अपने बारे में अपनी जुबां से कुछ कहने से बचते ही रहे। खोद-खोदकर सामने वाले की पूरी कर्म-कुंडली जान लेने की उनकी उत्सुकता के सामने इसकी गुंजाइश कम ही थी। हम तो बस इस अनुपम सानिध्य का मौका पाकर ही धन्य थे।

चलते-फिरते फोन के कैमरे में कैद कुछ पल:







हम घंटा-डेढ़ घंटा बतियाते रहे। लेकिन इस बतरस में अधिक साथ निभाया अभय जी के बड़े भैया, संजय तिवारी जी ने। अपने हाथों में जाम लिए, मजे ले-लेकर घूंट पीते हुए, ब्लॉगिंग की दुनिया के बारे में गहरी दिलचस्पी लेते हुए।




Tuesday 4 September 2007

अनूप शुक्ल 'फुरसतिया' जी का दिल्ली आगमन

दिल्ली और राजधानी क्षेत्र के ब्लागर्स के लिये एक अच्छी खबर.
श्री अनूप शुक्ल 'फुरसतिया' जी इस रविवार सितम्बर 9 को दिल्ली होते हुये पुणे जा रहे हैं और दिल्ली में श्री फुरसतिया जी प्रात: दस बजे से दोपहर दो बजे तक दिल्ली के ब्लागर साथियों के साथ होंगे.

तो फिर हम सब अपने दैनिक कार्यक्रम से थोड़ा समय निकालें और मिलें निम्न स्थान पर.

स्थान: 76/2 गढ़ी, प्रथम तल, सन्त नगर मेन रोड ईस्ट आफ कैलाश
नई दिल्ली-110065 फोन: 26486288
समय: प्रात: दस बजे से दो बजे तक 9 सितम्बर 2007.

आपका क्या कहना है?

मैथिली गुप्त