तीन जून 2007 को दिल्ली NCR ब्लागर्स मीट सम्पन्न हुई जिसमे भाग लेने वाले थे सर्वश्री अफलातून, अविनाश दास, अरुण पंगेबाज, देवेन्द्र वशिष्ठ खबरी, मोहिन्दर कुमार, रंजना भाटिया, राजीव रंजन प्रसाद, सुनील डोगरा, सुनीता शानू, पवन जी, और मैं (मैथिली गुप्त).
सबसे पहले पहुंचने वाले थे अरूण एवं अविनाश. ये तकरीब एक दो मिनट के अन्तर से या साथ साथ ही पहुंचे थे. श्री अफलातून जी को छोड़कर सभी उपस्थित ब्लागर्स निश्चित समय पर पहुंच गये थे . श्री अफलातून जी इस बैठक के लिये अपनी परिषद की गुड़गांव में हो रही कार्यकारिणी की महत्वपूर्ण बैठक से उठकर आये, इस पर भी वे बैठक के थोड़ी देर बाद ही पहुंच गये.
बैठक में यह चिन्ता जतायी गयी कि ब्लागर्स तो बढ़ रहे हैं पर ब्लागिंग के पाठक उस मात्रा में नहीं बढ़ पा रहे हैं. श्री देवेश वशिष्ठ "खबरी" ने बताया कि कैसे हिन्द युग्म अपने पाठकों की सख्यां में वृद्धि करने में सफल हो रहा है. श्री देवेन्द्र जी ने बताया कि वे ओरकुट के माध्यम से भी हिन्द युग्म में अधिकाधिक पाठक संख्यां में वृद्धि करते रहे हैं.
श्री अफलातून ने ब्लगिंग की सर्च एन्जिन फ्रेन्डलीनेस एवं टेक्नोराती के उपयोग पर अपने अनुभव बताये. उन्होंने इस समय श्री अमित गुप्ता की तकनीकी सहायता एवं उनकी अनुपस्थिति को विशेष रूप से याद किया. उन्होंने यह भी बताया कि कैसे अन्य मीडिया हाउसेज जैसे पीएनएन आदि ब्लागिंग की ओर मुड़ रहे हैं . श्री अफलातून ने यह भी सुझाव दिया कि ब्लागर्स के लेखों को एकत्रित करके विभिन्न छोटे समाचारपत्रों के लिये एक सिंडीकेशन सेवा भी शुरू की जा सकती है. लेकिन वर्तमान में छोटे समाचार पत्रों की संख्या में कमी के कारण इस सुझाव की व्यवहारिकता पर और विचार करने का निश्चय किया गया.
ब्लागिंग में वर्तमान दशा एवं कविता के प्रश्न के उत्तर में श्री राजीव रंजन प्रसाद जी ने निठारी कांड पर अपनी दिल में उतर जाने वाली कविता ओजस्वी स्वर में सुनाई.
श्री मोहिन्दर जी ने हिन्द युग्म के कविता प्रतियोगिता प्रयासों से बारे में विस्तार से बताया. इसमें मोहिन्दर जी ने श्री जयप्रकाश मानस जी के सहयोग का विशेष रूप से उल्लेख किया.
श्री अविनाश जी ने हिन्दी ब्लागिंग के भविष्य को रेखांकित करते हुये कहा कि ब्लागिंग के आने के बाद लेखन पर स्थापित लेखकों का का वर्चस्व टूटा है और ब्लागर्स की सृजनात्मकता स्वीकार होने लगी है. इस पर श्री मोहिन्दर जी ने व्यक्तिगत अनुभव बताये कि पहले पत्र पत्रिकायें जिन लेखकों की रचनायें अस्वीकृत कर देतीं थीं पर ब्लागिंग के बाद ब्लागर्स के लेखन की मांग होने लगी है .
सुश्री सुनीता शानू ने इस तरह की बैठक के सुखद माहौल देखते हुये एक निश्चित अन्तराल पर करते रहने पर जोर दिया. रंजना भाटिया रंजु ने ब्लागर एवं टिप्पणियो के महत्व को रेखांकित किया . इस विषय पर श्री समीर लाल जी के ब्लागर्स को प्रोत्साहन को विशेष रूप से रेखांकित किया गया. सुश्री रंजु भाटिया ने कविता में रदीफ, काफिया और मीटर के महत्व पर भी चुटकी ली.
श्री अफलातून जी ने चिन्ता जताई के पिछले दो महीने में कुछ पुराने ब्लागर्स कुछ कम लिखने लगे हैं. इस बैठक में पुरानी साहित्यिक पत्रिकाओं यथा धर्मयुग, सारिका , दिनमान आदि के योगदान को याद किया गया. श्री अफलातून ने वरिष्ठ चिठ्ठाकार श्री सुनील दीपक जी के पिताजी द्वारा दिनमान में दिये गये योगदान के बारे में भी बताया.
श्री सुनील डोगरा जी ने नये हिन्दी ब्लागर्स को आरही दिक्कतों के बारे में प्रश्न किये. यह प्रस्तावित हुआ कि नये एवं विशेष रूप से भावी हिन्दी ब्लागर्स के लिये एक बडी़ वर्कशाप का आयोजन किया जाये जिससे हिन्दी ब्लागिंग को नये ब्लागर्स एवं बड़ी संख्या में पाठक मिल सकें. सभी सथियों ने इस विचार को कार्यरूप देने की जिम्मेदारी ली.
यह भी तय किया गया कि इस तरह की गोष्ठियां समय समय पर अन्तराल से की जायें.
इस गोष्ठी में सबसे प्रमुख बात यह रही कि ब्लागिंग की में तीखी बहस चलते रहने एवं गोष्टी में सहमति एवं असहमति के स्वरों के बाबजूद माहौल शुरू से आखिर तक एकदम दोस्ताना रहा
इसके फोटो तो आप पहले भी देख ही चुके हैं, फिर भी इन पर एक बार और नजर डाल लीजिये.
सर्वश्री अरुण जी, अफलातून जी एवं अविनाश जी
सर्वश्री राजीव रंजन प्रसाद, पवन जी, सुनीता शानू जी एवं रंजना भाटिया रंजु जी
सर्वश्री राजीव रंजन प्रसाद, पवन जी, सुनीता शानू जी एवं रंजना भाटिया रंजु जी
25 comments:
रपट तो सही है... लेकिन यार मैं इतना काला भी नहीं हूं... तस्वीर पर थोड़ा काम कर लिया होता, तो ज्यादा सही रहता... या बैठक से पहले कोई मेकअप रूम ही दिखा दिया होता...!!! अविनाश
अच्छा लगा बातचीत का ब्योरा पढ़ के !
मैथिली जी अब पूरी हुई बात एक दो आधी अधुरी बातो ने उत्सुकता और बढा दी थी फ़िल्मो के टेलर की मानिंद, भईया ईसे पेपर मे छपवावो हम आप लाख मुडी पटक डरिहैं इंटरनेट म हिंदी पढईया नही बढा सकिहै । सही चिंतन किया है आप लोगों ने । एसे जुडाव की ही आवश्यकता है । हमारे जय प्रकाश भाई के बारे मे आप लोगो ने चर्चा किया धंयवाद ।
साधुवाद विस्तृत जानकारी देने के लिए
मैथिली जी पूरे विवरण व फोटोग्राफ के साथ रिपोर्ट के लिये धन्यवाद. साथ ही साथ ब्लागर्स मीट के लिये सुचारू रूप से व्यवस्था करने के लिये आप प्रशन्सा के पात्र हैँ. आशा है अगली ब्लागर्स मीट मेँ सभी ब्लागर्स बढ चढ कर हिस्सा लेँगे.
धन्यवाद, आखिर आपने पूरी जानकारी देकर हमारी जिज्ञासा शांत की। इस तरह के मिलन यदा कदा होते रहने चाहिए ताकि आपसी समझ बढ़ती रहे।
बड़ी अच्छी रिपोर्ट लिखी है। संभव हो तो संबंधित लिंक भी लगा दें खासकर निठारी कांड वाले ओजस्वी कविता जिसे राजीव रंजन प्रसाद ने सुनाया।
खूब, लगता है सब बढ़िया रहा। :)
अफ़लातून जी ने समाचारपत्रों में लेख देने संबन्धी जो बात की वह पहले भी की जा चुकी है, उस समय शशि जी मुम्बई से आए थे।
रही वर्कशॉप की बात, तो ऐसा हो सकता है, कोई समस्या वाली बात है ही नहीं।
गोष्ठी की विस्तृत रिपोर्ट पढ़ना बड़ा सुखद अनुभव रहा और सोने पर सुहागा कि अनुपस्थित रहते हुये भी हमारी चर्चा हो गई. आभार.
चित्र भी बहुत बढ़िया रहे. इसी तरह की गोष्ठियाँ निश्चित अंतराल पर होती रहें, इस हेतु शुभकामनायें.
सचित्र और विस्तृत रपट के लिए शुक्रिया. इस तरह के गंभीर विचार-विमर्श से निश्चय ही हिंदी चिट्ठाकारी का हाल सुधरेगा.
चिट्ठाकार सम्मेलन की विस्तारपूर्वक जानकारी बहुत रॊचक ढंग से प्रस्तुत की गई है| इस तरह के आयॊजन ब्लागरज का उत्साह बडाने में बडे सहायक हैं|
माफ़ कीजिएगा मैथिली जी मैं पहुच नही पाया. हालाँकि अविनाश ने मुझे फ़ोन किया था लेकिन काम इतना ज़्यादा था की मैं चाहते हुए भी न आ सका . इसके लिए मैं क्षमा प्रारथी हूँ. आगे से जब भी ऐसी कोई मीटिंग हो , मैं ज़रूर हाज़िर रहूँगा
अपनी अन्य व्यस्तताओं के कारण सूचना रहते हुए भी मैं इस बैठक में नहीं आ सका. आगे से कोशिश करूंगा कि मैं बैठक में आ सकूं.
चिट्ठाकार सम्मेलन का संपूर्ण विवरण देने का शुक्रिया।
ये हुई ना बात। ऐसे ही सभी चिट्ठाकार मीट की रपट आनी चाहिए, एक ही जगह पर। मैथिली जी का बहुत बहुत धन्यवाद।
फोटो के लिए धन्यवाद तो हम पहले से ही दे चुके थे, रिपोर्ट के लिए फिर से स्वीकार कर लीजिए।
अरे, हमने इतनी मेहनत से टिप्पणी की थी, गुम गई.
बहुत बढ़िया लगी यह रिपोर्ट. आप लोगों ने मेरी अनुपस्थिती में भी मेरा जिक्र किया, बहुत आभारी हूँ. ऐसे प्रयास सतत जारी रहने चाहिये.
चित्र भी बहुत अच्छे लगे.
बहुत अच्छा विवरण.. ऐसी मीट अधिकाधिक होनी चाहिए. :)
अब जाकर लगा कोई ब्लोगर मीट हुई थी.
भाईजान,
अच्छा लगा यह जानकर कि आप लोगों ने एक बैठक की थी. आगे कभी ऐसी बैठक फिर आयोजित करें तो मैं भी शामिल होना चाहूंगा.
भाईजान,
अच्छा लगा यह जानकर कि आप लोगों ने एक बैठक की थी. आगे कभी ऐसी बैठक फिर आयोजित करें तो मैं भी शामिल होना चाहूंगा.
वाह मैथली जी , रपट और चित्र दोनो शानदार हैं... एक बार फिर ना आ पाने के लिए माफ़ी चाहता हूँ.... देवेश जी और सुनीता जी से कल मुलाकात हुई ब्लू पिरामिड में .... आज भी वो आएंगे इंडिया हबितात सेंटर में ... हो सके तो आप भी आयियेगा ....
पिछले एक दो महीनों से अधिक काम की वजह से कम ही लिख रहा हूँ और कुछ पढ़ने का भी मौका कभी कभी मिलता है. आज इस चिट्ठाकार मिलन की रिपोर्ट में अचानक अपना नाम भी देख कर चौंक गया, हालाँकि बात मेरे पिता की हो रही थी, फ़िर भी याद करने के लिए सबको, विषेशकर अफलातून जी को धन्यवाद.
अच्छा लगा सबको देखकर , ऐसे आयोजन सम्य-२ पर होते रहने चाहिये.
सम्मेलन की रिपोर्ट संकलन सुन्दर और प्रभावशाली ढंग से हुआ है।
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